तब रावण ने सिंह, बाघ, कोंक, चक्रवाक, गिद्ध, बाज़, सियार, भेड़िये, गधे, सूअर, कुत्ते, मुर्गे, मगरमच्छ और ज़हरीले साँपों जैसे मुँह वाले तीखे बाणों की वर्षा करनी शुरू कर दी। वे बाण जबड़े चाटते हुए और मुँह खोले हुए पाँच मुँह वाले भयानक साँपों की तरह लग रहे थे। क्रुद्ध होकर महातेजस्वी रावण ने फुफकारते हुए सर्प की तरह श्रीराम पर इनके साथ-साथ अन्य प्रकार के तीखे बाणों का भी प्रयोग किया।