श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 99: श्रीराम और रावण का युद्ध  »  श्लोक 4-5
 
 
श्लोक  6.99.4-5 
 
 
रामवृक्षं रणे हन्मि सीतापुष्पफलप्रदम्।
प्रशाखा यस्य सुग्रीवो जाम्बवान् कुमुदो नल:॥ ४॥
द्विविदश्चैव मैन्दश्च अङ्गदो गन्धमादन:।
हनूमांश्च सुषेणश्च सर्वे च हरियूथपा:॥ ५॥
 
 
अनुवाद
 
  मैं युद्ध के मैदान में उस रामरूपी वृक्ष को नष्ट कर दूँगा, जो सीता फूल के समान फल देता है और जिसकी शाखा-प्रशाखाएँ सुग्रीव, जाम्बवान, कुमुद, नल, द्विविद, मैन्द, अंगद, गंधमादन, हनुमान और सुषेण आदि वानर-यूथपतियों द्वारा फैली हुई हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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