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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 38
श्लोक
6.99.38
ते महामेघसंकाशे कवचे पतिता: शरा:।
अवध्ये राक्षसेन्द्रस्य न व्यथां जनयंस्तदा॥ ३८॥
अनुवाद
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उन बाणों का प्रहार राक्षसों के राजा रावण के महामेघ के समान काले रंग के अभेद्य कवच पर हुआ, जिससे वे बाण उस कवच को भेद नहीं पाए और उसे व्यथित नहीं कर सके।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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