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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 99: श्रीराम और रावण का युद्ध
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श्लोक 34
श्लोक
6.99.34
तत: संसक्तहस्तस्तु रावणो लोकरावण:।
नाराचमालां रामस्य ललाटे प्रत्यमुञ्चत॥ ३४॥
अनुवाद
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तत्पश्चात् जिनके दोनों हाथों में बाणों का सन्धान करने का अभ्यास था, समस्त जगत को हँसाने वाले उस रावण ने भगवान श्रीरामजी के मस्तक पर नारचों की माला चढ़ा दी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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