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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 31
श्लोक
6.99.31
तयोरभून्महायुद्धमन्योन्यवधकांक्षिणो:।
अनासाद्यमचिन्त्यं च वृत्रवासवयोरिव॥ ३१॥
अनुवाद
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दोनो ही एक-दूसरे का वध करना चाहते थे। इसलिए, वृत्रासुर और इन्द्र की तरह उन दोनों के बीच एक ऐसा भयंकर युद्ध शुरू हो गया, जो दुर्लभ और अचिन्तनीय था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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