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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 28
श्लोक
6.99.28
सततं विविधैर्बाणैर्बभूव गगनं तदा।
घनैरिवातपापाये विद्युन्मालासमाकुलै:॥ २८॥
अनुवाद
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जैसे वर्षा ऋतु में विद्युत-समूहों से युक्त मेघों की घटा से आकाश ढक जाता है, उसी तरह उस समय आकाश नाना प्रकार के बाणों से आच्छादित हो गया था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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