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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 15
श्लोक
6.99.15
विस्फारयितुमारेभे तत: स धनुरुत्तमम्।
महावेगं महानादं निर्भिन्दन्निव मेदिनीम्॥ १५॥
अनुवाद
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उसने अपने महान् वेगशाली और महानाद उत्पन्न करने वाले उत्तम धनुष को खींचना और उसकी टंकार करना आरम्भ किया, मानो वह पृथ्वी को चीर कर दो भाग कर देगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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