श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 97: सुग्रीव के साथ महोदर का घोर युद्ध तथा वध  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  6.97.25 
 
 
ततो भिन्नप्रहरणौ मुष्टिभ्यां तौ समीयतु:।
तेजोबलसमाविष्टौ दीप्ताविव हुताशनौ॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  दोनों योद्धा उत्साह और शक्ति से ओतप्रोत हो गए थे और जलती हुई आग की तरह दमक रहे थे। जब उनके अस्त्र-शस्त्र टूट गए, तो वे अपने मुट्ठियों से एक-दूसरे को मारने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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