श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 96: सुग्रीव द्वारा राक्षस सेना का संहार और विरूपाक्ष का वध  »  श्लोक 29-30
 
 
श्लोक  6.96.29-30 
 
 
ततस्तु संक्रुद्धतर: सुग्रीवो वानरेश्वर:॥ २९॥
मोक्षितं चात्मनो दृष्ट्वा प्रहारं तेन रक्षसा।
स ददर्शान्तरं तस्य विरूपाक्षस्य वानर:॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  अब तो वानरराज सुग्रीव अत्यधिक क्रुद्ध हो गए। उन्होंने देखा कि रावण ने मेरे प्रहार को विफल कर दिया और अपने ऊपर उसका कोई प्रभाव नहीं होने दिया। तब उन्होंने विरूपाक्ष पर प्रहार करने का मौका देखना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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