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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 95: रावण का अपने मन्त्रियों को बुलाकर शत्रुवधवि षयक अपना उत्साह प्रकट करना और सबके साथ रणभूमि में आकर पराक्रम दिखाना
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श्लोक 47
श्लोक
6.95.47
अन्तरिक्षात् पपातोल्का निर्घातसमनि:स्वना।
विनेदुरशिवा गृध्रा वायसैरभिमिश्रिता:॥ ४७॥
अनुवाद
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अंतरिक्ष से उल्कापात हुआ। धमाके की आवाज़ के कारण वज्रपात जैसी गड़गड़ाहट पैदा हुई। प्रतिकूल संकेत देने वाले पक्षी जैसे कि गीध और कौवे आपस में मिलकर अशुभ बातें बोलने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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