श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 94: राक्षसियों का विलाप  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  6.94.39 
 
 
नास्ति न: शरणं किंचिद् भये महति तिष्ठताम्।
दावाग्निवेष्टितानां हि करेणूनां यथा वने॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  हम एक बहुत ही खतरनाक और भयावह स्थिति में हैं। जिस तरह जंगल में आग लगी हो और हाथी उस आग से बचने के लिए चारों ओर भाग रहे हों, लेकिन उन्हें कोई रास्ता नहीं मिल रहा हो, ठीक उसी तरह हमारे लिए भी कोई सहारा या शरण नहीं है॥ ३९॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.