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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 26
श्लोक
6.94.26
रामहस्ताद् दशग्रीव: शूरो दत्तमहावर:।
इदं भयं महाघोरं समुत्पन्नं न बुद्ध्यते॥ २६॥
अनुवाद
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दशमुख रावण एक शूरवीर है जिसे ब्रह्माजी ने महान वरदान दिए हैं। इसी घमंड के कारण वो श्रीराम के हाथों मिली इस विकराल विपत्ति को समझ नहीं पा रहा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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