विभीषण ने जो नैतिकता और व्यावहारिकता से परिपूर्ण बात कही थी, वह सभी राक्षसों के लिए लाभकारी और उचित थी। लेकिन मोह के वश में आकर रावण को वह अच्छी नहीं लगी। यदि कुबेर के छोटे भाई रावण ने विभीषण की सलाह मान ली होती तो यह लंकापुरी इस तरह दुःख से पीड़ित होकर श्मशानभूमि नहीं बन जाती।