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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 92: रावण का शोक तथा सुपार्श्व के समझाने से उसका सीता-वध से निवृत्त होना
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श्लोक 58-59h
श्लोक
6.92.58-59h
निराशा निहते पुत्रे दत्त्वा श्राद्धमचेतना॥ ५८॥
अग्निमावेक्ष्यते नूनमपो वापि प्रवेक्ष्यति।
अनुवाद
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पुत्र-शोक से व्याकुल और मूर्छित होकर वे अपने पुत्र का श्राद्ध करके अवश्य ही जलती हुई आग में कूद जाएँगी या सरयू नदी में डूब कर अपनी जान दे देंगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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