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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 92: रावण का शोक तथा सुपार्श्व के समझाने से उसका सीता-वध से निवृत्त होना
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श्लोक 31
श्लोक
6.92.31
तेन मामद्य संयुक्तं रथस्थमिह संयुगे।
प्रतीयात् कोऽद्य मामाजौ साक्षादपि पुरंदर:॥ ३१॥
अनुवाद
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इसलिए यदि आज मैं युद्ध के लिए तैयार हो रथ पर बैठकर रणभूमि में खड़ा हो जाऊँ तो कौन मेरा सामना कर सकता है? स्वयं इंद्र ही क्यों न हो, वह भी मुझसे युद्ध करने का साहस नहीं कर सकता।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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