श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 92: रावण का शोक तथा सुपार्श्व के समझाने से उसका सीता-वध से निवृत्त होना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  6.92.11 
 
 
अद्य लोकास्त्रय: कृत्स्ना पृथिवी च सकानना।
एकेनेन्द्रजिता हीना शून्येव प्रतिभाति मे॥ ११॥
 
 
अनुवाद
 
  आज तीनो ही लोकों समेत और वनों सहित यह सम्पूर्ण पृथ्वी भी अकेले इन्द्रजित के न होने से मुझे सूनी-सी प्रतीत हो रही है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.