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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 92: रावण का शोक तथा सुपार्श्व के समझाने से उसका सीता-वध से निवृत्त होना
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श्लोक 10
श्लोक
6.92.10
अद्य देवगणा: सर्वे लोकपाला महर्षय:।
हतमिन्द्रजितं श्रुत्वा सुखं स्वप्स्यन्ति निर्भया:॥ १०॥
अनुवाद
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आज सभी देवता, लोकपाल और महर्षि इंद्रजित के मारे जाने का समाचार सुनकर निडर होकर सुख से सो सकेंगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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