तब इन्द्र के समान पराक्रमी लक्ष्मण ने श्रेष्ठ घोड़ों के मारे जाने के कारण पैदल ही युद्ध में भाग लिया और तीखे उत्तम बाणों की वर्षा कर इन्द्रजित् को अपने बाण समूहों से अत्यधिक घायल कर दिया।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे एकोननवतितम: सर्ग: ॥ ८ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें नवासीवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ८ ९॥