श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 89: विभीषण का राक्षसों पर प्रहार, उनका वानरयूथ पतियों को प्रोत्साहन देना, लक्ष्मण द्वारा इन्द्रजित के सारथि का और वानरों द्वारा उसके घोड़ों का वध  »  श्लोक 53
 
 
श्लोक  6.89.53 
 
 
ततो महेन्द्रप्रतिम: स लक्ष्मण:
पदातिनं तं निहतैर्हयोत्तमै:।
सृजन्तमाजौ निशितान् शरोत्तमान्
भृशं तदा बाणगणैर्व्यदारयत्॥ ५३॥
 
 
अनुवाद
 
  तब इन्द्र के समान पराक्रमी लक्ष्मण ने श्रेष्ठ घोड़ों के मारे जाने के कारण पैदल ही युद्ध में भाग लिया और तीखे उत्तम बाणों की वर्षा कर इन्द्रजित् को अपने बाण समूहों से अत्यधिक घायल कर दिया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे एकोननवतितम: सर्ग: ॥ ८ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें नवासीवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ८ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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