स यन्तरि महातेजा हते मन्दोदरीसुत:॥ ४२॥
स्वयं सारथ्यमकरोत् पुनश्च धनुरस्पृशत्।
तदद्भुतमभूत् तत्र सारथ्यं पश्यतां युधि॥ ४३॥
अनुवाद
महातेजस्वी मन्दोदरी कुमार इन्द्रजित् सारथि के मारे जाने के बाद स्वयं ही सारथि का काम भी संभालता था - घोड़ों को भी काबू में रखता था और फिर धनुष को भी चलाता था। युद्ध के मैदान में उसके द्वारा वहाँ सारथि के कार्य का भी सम्पादन होना दर्शकों की दृष्टि में बहुत ही आश्चर्यजनक बात थी।