श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 89: विभीषण का राक्षसों पर प्रहार, उनका वानरयूथ पतियों को प्रोत्साहन देना, लक्ष्मण द्वारा इन्द्रजित के सारथि का और वानरों द्वारा उसके घोड़ों का वध  »  श्लोक 42-43
 
 
श्लोक  6.89.42-43 
 
 
स यन्तरि महातेजा हते मन्दोदरीसुत:॥ ४२॥
स्वयं सारथ्यमकरोत् पुनश्च धनुरस्पृशत्।
तदद्भुतमभूत् तत्र सारथ्यं पश्यतां युधि॥ ४३॥
 
 
अनुवाद
 
  महातेजस्वी मन्दोदरी कुमार इन्द्रजित् सारथि के मारे जाने के बाद स्वयं ही सारथि का काम भी संभालता था - घोड़ों को भी काबू में रखता था और फिर धनुष को भी चलाता था। युद्ध के मैदान में उसके द्वारा वहाँ सारथि के कार्य का भी सम्पादन होना दर्शकों की दृष्टि में बहुत ही आश्चर्यजनक बात थी।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.