श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 89: विभीषण का राक्षसों पर प्रहार, उनका वानरयूथ पतियों को प्रोत्साहन देना, लक्ष्मण द्वारा इन्द्रजित के सारथि का और वानरों द्वारा उसके घोड़ों का वध  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  6.89.22 
 
 
निघ्नन्तमृक्षाधिपतिं राक्षसास्ते महाबला:।
परिवव्रुर्भयं त्यक्त्वा तमनेकविधायुधा:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋक्षराज जाम्बवान् स्वयं पर वार करते हुए देख वे राक्षस भय को त्यागकर अपने चारों ओर से उन्हें घेर लेते हैं। उनके हाथों में कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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