श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 89: विभीषण का राक्षसों पर प्रहार, उनका वानरयूथ पतियों को प्रोत्साहन देना, लक्ष्मण द्वारा इन्द्रजित के सारथि का और वानरों द्वारा उसके घोड़ों का वध  »  श्लोक 11-14
 
 
श्लोक  6.89.11-14 
 
 
जम्बुमाली महामाली तीक्ष्णवेगोऽशनिप्रभ:।
सुप्तघ्नो यज्ञकोपश्च वज्रदंष्ट्रश्च राक्षस:॥ ११॥
संह्रादी विकटोऽरिघ्नस्तपनो मन्द एव च।
प्रघास: प्रघसश्चैव प्रजङ्घो जङ्घ एव च॥ १२॥
अग्निकेतुश्च दुर्धर्षो रश्मिकेतुश्च वीर्यवान्।
विद्युज्जिह्वो द्विजिह्वश्च सूर्यशत्रुश्च राक्षस:॥ १३॥
अकम्पन: सुपार्श्वश्च चक्रमाली च राक्षस:।
कम्पन: सत्त्ववन्तौ तौ देवान्तकनरान्तकौ॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘जम्बुमाली, महामाली, तीक्ष्णवेग, अशनिप्रभ, सुप्तघ्न, यज्ञकोप, राक्षस वज्रदंष्ट्र, संह्रादी, विकट, अरिघ्न, तपन, मन्द, प्रघास, प्रघस, प्रजङ्घ, जङ्घ, दुर्जय अग्निकेतु, पराक्रमी रश्मिकेतु, विद्युज्जिह्व, द्विजिह्व, राक्षस सूर्यशत्रु, अकम्पन, सुपार्श्व, निशाचर चक्रमाली, कम्पन तथा वे दोनों शक्तिशाली वीर देवान्तक और नरान्तक—ये सभी मारे जा चुके हैं॥ ११—१४॥
 
 
 
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