श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 88: लक्ष्मण और इन्द्रजित की परस्पर रोषभरी बातचीत और घोर युद्ध  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  6.88.20 
 
 
स शरैरतिविद्धाङ्गो रुधिरेण समुक्षित:।
शुशुभे लक्ष्मण: श्रीमान् विधूम इव पावक:॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  शरों से उनका शरीर अत्यधिक क्षत-विक्षत हो गया था और वे रक्त से नहाए हुए थे। उस अवस्था में श्रीमान लक्ष्मण धूमरहित प्रज्वलित अग्नि के समान शोभा पा रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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