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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 88: लक्ष्मण और इन्द्रजित की परस्पर रोषभरी बातचीत और घोर युद्ध
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श्लोक 15
श्लोक
6.88.15
अन्तर्धानगतेनाजौ यत्त्वया चरितस्तदा।
तस्कराचरितो मार्गो नैष वीरनिषेवित:॥ १५॥
अनुवाद
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उस समय युद्ध के मैदान में छुपकर तुमने जो रास्ता अपनाया था, वह चोरों का रास्ता है। वीर पुरुष उसका प्रयोग नहीं करते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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