उक्तश्च दुर्गम: पार: कार्याणां राक्षस त्वया।
कार्याणां कर्मणा पारं यो गच्छति स बुद्धिमान्॥ १३॥
अनुवाद
‘निशाचर! तुमने केवल वाणीद्वारा अपने शत्रुवध आदि कार्योंकी पूर्तिके लिये घोषणा कर दी; परंतु उन कार्योंको पूरा करना तुम्हारे लिये बहुत ही कठिन है। जो क्रियाद्वारा कर्तव्यकर्मोंके पार पहुँचता है अर्थात् जो कहता नहीं, काम पूरा करके दिखा देता है, वही पुरुष बुद्धिमान् है॥ १३॥