श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 87: इन्द्रजित और विभीषण की रोषपूर्ण बातचीत  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  6.87.9 
 
 
तमुवाच महातेजा: पौलस्त्यमपराजितम्।
समाह्वये त्वां समरे सम्यग् युद्धं प्रयच्छ मे॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  तब, अत्यंत तेजस्वी लक्ष्मण ने पराजित न होने वाले पुलस्त्य कुल के आनंद इंद्रजित से कहा - "राक्षसकुमार! मैं तुम्हें युद्ध के लिए ललकारता हूँ। तुम अच्छी तरह से सँभलकर मेरे साथ युद्ध करो।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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