श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 87: इन्द्रजित और विभीषण की रोषपूर्ण बातचीत  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  6.87.30 
 
 
निदर्शयस्वात्मबलं समुद्यतं
कुरुष्व सर्वायुधसायकव्ययम्।
न लक्ष्मणस्यैत्य हि बाणगोचरं
त्वमद्य जीवन् सबलो गमिष्यसि॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  अब अपना पूरा बल दिखा, सभी हथियारों और योद्धाओं का उपयोग कर, लेकिन आज तू लक्ष्मण के बाणों से मारा जाएगा और तेरी सेना के साथ जीवित नहीं लौट पाएगा।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे सप्ताशीतितम: सर्ग: ॥ ८ ७॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिर्निमित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें सतासीवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ८ ७॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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