श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 87: इन्द्रजित और विभीषण की रोषपूर्ण बातचीत  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  6.87.29 
 
 
धर्षयित्वा च काकुत्स्थं न शक्यं जीवितुं त्वया।
युध्यस्व नरदेवेन लक्ष्मणेन रणे सह।
हतस्त्वं देवताकार्यं करिष्यसि यमक्षयम्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  लक्ष्मण के अपमान करने के बाद तुम ज़िंदा नहीं बच सकते, अतः रणभूमि में नरदेव लक्ष्मण से युद्ध करो। यदि यहाँ पर तुम मारे गए तो यमलोक पहुँचकर देवताओं के कार्यों में सहायता करोगे, और उन्हें संतुष्ट करोगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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