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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 87: इन्द्रजित और विभीषण की रोषपूर्ण बातचीत
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श्लोक 1
श्लोक
6.87.1
एवमुक्त्वा तु सौमित्रिं जातहर्षो विभीषण:।
धनुष्पाणिं तमादाय त्वरमाणो जगाम स:॥ १॥
अनुवाद
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पूर्वोक्त वचन कहकर विभीषण हर्ष से पूर्ण हो उठे और वे धनुषधारी सुमित्रा कुमार को साथ लेकर तीव्र गति से आगे बढ़ने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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