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श्लोक 6.86.32  |
हनूमन्तं जिघांसन्तं समुद्यतशरासनम्।
रावणात्मजमाचष्टे लक्ष्मणाय विभीषण:॥ ३२॥ |
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अनुवाद |
रावणकुमार इन्द्रजित धनुष उठाकर हनुमान जी को मारना चाहता था, ऐसी स्थिति में विभीषण ने उसे लक्ष्मण से मिलवाया ॥32॥ |
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Ravanakumar Indrajit wanted to kill Hanuman ji by picking up the bow. In this situation, Vibhishana introduced him to Lakshmana. 32॥ |
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