वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 86: वानरों और राक्षसों का युद्ध, हनुमान्जी के द्वारा राक्षस सेना का संहार और उनका इन्द्रजित को द्वन्द्वयुद्ध के लिये ललकारना तथा लक्ष्मण का उसे देखना
»
श्लोक 32
श्लोक
6.86.32
हनूमन्तं जिघांसन्तं समुद्यतशरासनम्।
रावणात्मजमाचष्टे लक्ष्मणाय विभीषण:॥ ३२॥
अनुवाद
play_arrowpause
रावण के पुत्र कुमार इन्द्रजित् ने अपने धनुष पर तीर चढ़ा लिए थे और वे हनुमान जी का वध करना चाहते थे। तभी विभीषण ने लक्ष्मण से उसका परिचय कराया-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.