वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 85: विभीषण के अनुरोध से श्रीरामचन्द्रजी का लक्ष्मण को इन्द्रजित के वध के लिये जाने की आज्ञा देना और सेना सहित लक्ष्मण का निकुम्भिला-मन्दिर के पास पहुँचना
»
श्लोक 7
श्लोक
6.85.7
भूयस्तु मम विज्ञाप्यं तच्छृणुष्व महाप्रभो।
त्वय्यकारणसंतप्ते संतप्तहृदया वयम्॥ ७॥
अनुवाद
play_arrowpause
महाराज! जिस बात को अब मैं आपसे निवेदन करने जा रहा हूँ, उसे भी आप सुन लें। बिना किसी कारण आपके दुखी होने से हमारे मन में भी बहुत ज्यादा दुख हो रहा है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.