श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 85: विभीषण के अनुरोध से श्रीरामचन्द्रजी का लक्ष्मण को इन्द्रजित के वध के लिये जाने की आज्ञा देना और सेना सहित लक्ष्मण का निकुम्भिला-मन्दिर के पास पहुँचना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  6.85.25 
 
 
संनद्ध: कवची खड्गी सशरी वामचापभृत्।
रामपादावुपस्पृश्य हृष्ट: सौमित्रिरब्रवीत्॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  वे युद्ध की सभी सामग्रियाँ लेकर तैयार हो गए। उन्होंने कवच पहन लिया, तलवार बाँध ली और सुन्दर बाणों से भरा हुआ तरकश और बाएँ हाथ में धनुष ले लिया। इसके पश्चात श्री रामचन्द्र जी के चरण छूकर हर्ष से भरे हुए सुमित्रा कुमार ने कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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