वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 6: युद्ध काण्ड
»
सर्ग 85: विभीषण के अनुरोध से श्रीरामचन्द्रजी का लक्ष्मण को इन्द्रजित के वध के लिये जाने की आज्ञा देना और सेना सहित लक्ष्मण का निकुम्भिला-मन्दिर के पास पहुँचना
»
श्लोक 17
श्लोक
6.85.17
विभीषणवच: श्रुत्वा रामो वाक्यमथाब्रवीत्।
जानामि तस्य रौद्रस्य मायां सत्यपराक्रम॥ १७॥
अनुवाद
play_arrowpause
विभीषण के वचन सुनकर श्री रामचंद्र जी ने शोक त्यागकर कहा – ‘सत्यपराक्रमी विभीषण! उस भयानक राक्षस की माया को मैं जानता हूँ।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.