श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 83: सीता के मारे जाने की बात सुनकर श्रीराम का शोक से मूर्च्छित होना और लक्ष्मण का उन्हें समझाते हुए पुरुषार्थ के लिये उद्यत होना  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  6.83.42 
 
 
तदद्य विपुलं वीर दु:खमिन्द्रजिता कृतम्।
कर्मणा व्यपनेष्यामि तस्मादुत्तिष्ठ राघव॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  वीर रघुनंदन! आज इन्द्रजित ने जिस भयंकर दुःख को दिया है, उसे मैं अपने पराक्रम और शौर्य से नष्ट करूँगा; अतः चिंता त्याग कर उठो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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