श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 83: सीता के मारे जाने की बात सुनकर श्रीराम का शोक से मूर्च्छित होना और लक्ष्मण का उन्हें समझाते हुए पुरुषार्थ के लिये उद्यत होना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  6.83.34 
 
 
सोऽयमर्थं परित्यज्य सुखकाम: सुखैधित:।
पापमाचरते कर्तुं तदा दोष: प्रवर्तते॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  सुकुमार व्यक्ति अगर प्राप्त धन-संपत्ति को त्यागकर सुख की आशा करता है तो उस अभीष्ट सुख की प्राप्ति के लिए अन्यायपूर्वक धन उपार्जन करने लगता है; इसलिए उसे मारपीट, बंधन आदि दुख प्राप्त होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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