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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 83: सीता के मारे जाने की बात सुनकर श्रीराम का शोक से मूर्च्छित होना और लक्ष्मण का उन्हें समझाते हुए पुरुषार्थ के लिये उद्यत होना
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श्लोक 29
श्लोक
6.83.29
यदि धर्मो भवेद् भूत अधर्मो वा परंतप।
न स्म हत्वा मुनिं वज्री कुर्यादिज्यां शतक्रतु:॥ २९॥
अनुवाद
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शत्रुदमन महाराज! यदि केवल धर्म या अधर्म ही मुख्य रूप से अनुष्ठान के योग्य होता तो इंद्र ने विश्वरूप मुनि की हत्या (अधर्म) के बाद यज्ञ (धर्म) क्यों किया?
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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