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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 83: सीता के मारे जाने की बात सुनकर श्रीराम का शोक से मूर्च्छित होना और लक्ष्मण का उन्हें समझाते हुए पुरुषार्थ के लिये उद्यत होना
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श्लोक 17
श्लोक
6.83.17
यद्यधर्मो भवेद् भूतो रावणो नरकं व्रजेत्।
भवांश्च धर्मसंयुक्तो नैव व्यसनमाप्नुयात्॥ १७॥
अनुवाद
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यदि अधर्म की भी सत्ता होती, यानि अधर्म अवश्य ही दुःख का कारण होता, तो रावण को नरक में पड़े रहना चाहिए था और आप जैसे धर्मात्मा पुरुष पर संकट नहीं आना चाहिए था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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