इन्द्रजित यज्ञ के विधि-विधानों का ज्ञाता था। उसने सभी राक्षसों के कल्याण के लिए विधिपूर्वक हवन करना शुरू किया। उस यज्ञ को देखकर महायुद्ध के समय नीति-अनीति और कर्तव्य-अकर्तव्य का ज्ञान रखने वाले राक्षस खड़े हो गये।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे द्वॺशीतितम: सर्ग: ॥ ८ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें बयासीवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ८ २॥