तथा तु सीतां विनिहत्य दुर्मति:
प्रहृष्टचेता: स बभूव रावणि:।
तं हृष्टरूपं समुदीक्ष्य वानरा
विषण्णरूपा: समभिप्रदुद्रुवु:॥ ३४॥
अनुवाद
रावण के पुत्र मेघनाद ने सीता का वध कर अपनी बुद्धिहीनता दिखाई। उसने ऐसा करके अपने मन में हर्ष की अनुभूति की। उसे प्रसन्नता से भरा देख वानर हताश और दुखी होकर तेज़ी से भाग निकले।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे एकाशीतितम: सर्ग: ॥ ८ १॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें इक्यासीवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ८ १॥