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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 81: इन्द्रजित के द्वारा मायामयी सीता का वध
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श्लोक 33
श्लोक
6.81.33
वानरा: शुश्रुवु: शब्दमदूरे प्रत्यवस्थिता:।
व्यादितास्यस्य नदतस्तद्दुर्गं संश्रितस्य तु॥ ३३॥
अनुवाद
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वह दूर खड़े वानरों ने उसे गर्जना करते सुना। दुर्गम रथ पर बैठा वह मुँह खोलकर भयानक सिंहनाद कर रहा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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