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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 81: इन्द्रजित के द्वारा मायामयी सीता का वध
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श्लोक 28
श्लोक
6.81.28
न हन्तव्या: स्त्रियश्चेति यद् ब्रवीषि प्लवंगम।
पीडाकरममित्राणां यच्च कर्तव्यमेव तत्॥ २८॥
अनुवाद
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अर्थात् शत्रुओं को जितना कष्ट पहुँचाया जा सके, वही कर्तव्य समझा जाता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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