सुग्रीवस्त्वं च रामश्च यन्निमित्तमिहागता:।
तां वधिष्यामि वैदेहीमद्यैव तव पश्यत:॥ २६॥
इमां हत्वा ततो रामं लक्ष्मणं त्वां च वानर।
सुग्रीवं च वधिष्यामि तं चानार्यं विभीषणम्॥ २७॥
अनुवाद
‘वानर! सुग्रीव, राम और तुम सब लोग जिसके लिये यहाँतक आये हो, उस विदेहकुमारी सीताको मैं अभी तुम्हारे देखते-देखते मार डालूँगा। इसे मारकर मैं क्रमश: राम-लक्ष्मणका, तुम्हारा, सुग्रीवका तथा उस अनार्य विभीषणका भी वध कर डालूँगा॥ २६-२७॥