श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 81: इन्द्रजित के द्वारा मायामयी सीता का वध  »  श्लोक 26-27
 
 
श्लोक  6.81.26-27 
 
 
सुग्रीवस्त्वं च रामश्च यन्निमित्तमिहागता:।
तां वधिष्यामि वैदेहीमद्यैव तव पश्यत:॥ २६॥
इमां हत्वा ततो रामं लक्ष्मणं त्वां च वानर।
सुग्रीवं च वधिष्यामि तं चानार्यं विभीषणम्॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘वानर! सुग्रीव, राम और तुम सब लोग जिसके लिये यहाँतक आये हो, उस विदेहकुमारी सीताको मैं अभी तुम्हारे देखते-देखते मार डालूँगा। इसे मारकर मैं क्रमश: राम-लक्ष्मणका, तुम्हारा, सुग्रीवका तथा उस अनार्य विभीषणका भी वध कर डालूँगा॥ २६-२७॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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