श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 79: श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा मकराक्ष का वध  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  6.79.41 
 
 
दशरथनृपसूनुबाणवेगै
रजनिचरं निहतं खरात्मजं तम्।
प्रददृशुरथ देवता: प्रहृष्टा
गिरिमिव वज्रहतं यथा विकीर्णम्॥ ४१॥
 
 
अनुवाद
 
  देवता यह देखकर हर्षित हुए, जैसे वज्र से आहत पर्वत बिखर जाता है, उसी प्रकार निशाचर मकराक्ष जो खर का पुत्र था, दशरथकुमार श्रीरामचन्द्र के बाणों से मार डाला गया।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डे एकोनाशीतितम: सर्ग: ॥ ७ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें उन्नासीवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ७ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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