श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 79: श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा मकराक्ष का वध  »  श्लोक 34-35h
 
 
श्लोक  6.79.34-35h 
 
 
तमापतन्तं ज्वलितं खरपुत्रकराच्च्युतम्॥ ३४॥
बाणैश्चतुर्भिराकाशे शूलं चिच्छेद राघव:।
 
 
अनुवाद
 
  खर पुत्र मकराक्ष के हाथों से छूटता हुआ वह प्रज्वलित शूल को अपने पास आता देख प्रभु श्रीरामचन्द्रजी ने आकाश में ही चार बाण चलाकर उसे काट दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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