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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 79: श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा मकराक्ष का वध
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श्लोक 18
श्लोक
6.79.18
कत्थसे किं वृथा रक्षो बहून्यसदृशानि ते।
न रणे शक्यते जेतुं विना युद्धेन वाग्बलात्॥ १८॥
अनुवाद
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राक्षस! तू व्यर्थ की डींग क्यों हांक रहा है? तेरे मुँह से बहुत-सी ऐसी बातें निकल रही हैं, जो वीर पुरुषों के योग्य नहीं हैं। युद्ध में बिना लड़े सिर्फ बातों के बल पर विजय नहीं पाई जा सकती।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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