श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 78: रावण की आज्ञा से मकराक्ष का युद्ध के लिये पत्र थान  »  श्लोक 4-5
 
 
श्लोक  6.78.4-5 
 
 
रावणस्य वच: श्रुत्वा शूरमानी खरात्मज:।
बाढमित्यब्रवी द‍्धृ ष्टो मकराक्षो निशाचरम् ॥ ४ ॥
सोऽभिवाद्य दशग्रीवं कृत्वा चापि प्रदक्षिणम्।
निर्जगाम गृहाच्छुभ्राद् रावणस्याज्ञया बली ॥ ५ ॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण की बात सुनकर, मकराक्ष, जो स्वयं को एक शूरवीर मानता था, उत्साहपूर्वक बोला, "बहुत अच्छा।" फिर उस शक्तिशाली और वीर योद्धा ने राक्षसों के राजा रावण को प्रणाम किया और उनकी परिक्रमा की। इसके बाद, उसने रावण से आज्ञा लेकर उस भव्य राजमहल से बाहर कदम रखा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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