श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 78: रावण की आज्ञा से मकराक्ष का युद्ध के लिये पत्र थान  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  6.78.21 
 
 
घनगजमहिषाङ्गतुल्यवर्णा:
समरमुखेष्वसकृद‍्गदासिभिन्ना:।
अहमहमिति युद्धकौशलास्ते
रजनिचरा: परिबभ्रमुर्मुहुस्ते॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  उन राक्षसों का शरीर मेघ, हाथी और भैंसों के समान काला था। युद्ध के मैदान में अनेक बार गदाओं और तलवारों के प्रहार से उनका शरीर घायल हुआ था। युद्धकौशल में वे निपुण थे। राक्षस यह कहते हुए कि "मैं पहले लड़ूँगा, मैं पहले लड़ूँगा" युद्ध के मैदान में घूम रहे थे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डेऽष्टसप्ततितम: सर्ग: ॥ ७ ८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें अठहत्तरवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ७ ८॥
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.