उन राक्षसों का शरीर मेघ, हाथी और भैंसों के समान काला था। युद्ध के मैदान में अनेक बार गदाओं और तलवारों के प्रहार से उनका शरीर घायल हुआ था। युद्धकौशल में वे निपुण थे। राक्षस यह कहते हुए कि "मैं पहले लड़ूँगा, मैं पहले लड़ूँगा" युद्ध के मैदान में घूम रहे थे।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये युद्धकाण्डेऽष्टसप्ततितम: सर्ग: ॥ ७ ८॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके युद्धकाण्डमें अठहत्तरवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ७ ८॥