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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 6: युद्ध काण्ड
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सर्ग 78: रावण की आज्ञा से मकराक्ष का युद्ध के लिये पत्र थान
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श्लोक 1
श्लोक
6.78.1
निकुम्भं निहतं श्रुत्वा कुम्भं च विनिपातितम्।
रावण: परमामर्षी प्रजज्वालानलो यथा॥ १॥
अनुवाद
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रावण को यह सुनकर अत्यधिक क्रोध आया कि निकुम्भ और कुम्भ मारे गए हैं। वह क्रोध से जल उठा, जैसे आग भड़कती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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