श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 76: अङ्गद के द्वारा कम्पन और प्रजङ्घका द्विविद के द्वारा शोणिताक्षका, मैन्द के द्वारा यूपाक्षका और सुग्रीव के द्वारा कुम्भ का वध  »  श्लोक 87
 
 
श्लोक  6.76.87 
 
 
तस्य वर्म च पुस्फोट संजज्ञे चापि शोणितम्।
तस्य मुष्टिर्महावेग: प्रतिजघ्नेऽस्थिमण्डले॥ ८७॥
 
 
अनुवाद
 
  इससे वानरराज सुग्रीव का कवच टूट गया और उनकी छाती से खून बहने लगा। बाली का तेज और बलशाली मुक्का सुग्रीव की हड्डियों पर बहुत जोर से लगा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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