श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 76: अङ्गद के द्वारा कम्पन और प्रजङ्घका द्विविद के द्वारा शोणिताक्षका, मैन्द के द्वारा यूपाक्षका और सुग्रीव के द्वारा कुम्भ का वध  »  श्लोक 85
 
 
श्लोक  6.76.85 
 
 
तत: कुम्भनिपातेन जलराशि: समुत्थित:।
विन्ध्यमन्दरसंकाशो विससर्प समन्तत:॥ ८५॥
 
 
अनुवाद
 
  कुम्भके गिरने से विशाल जलराशि ऊपर को उठ गई, जो विन्ध्य और मंदराचल पर्वतों की तरह लग रही थी और हर तरफ फैल गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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