वरदानात् पितृव्यस्ते सहते देवदानवान्।
कुम्भकर्णस्तु वीर्येण सहते च सुरासुरान्॥ ७५॥
अनुवाद
तुम्हारे पिताश्री रावण केवल वरदान के बल पर ही देवताओं और दानवों के प्रहारों को सहन कर पाते हैं। तुम्हारे पितामह कुम्भकर्ण अपने पराक्रम और वीरता के बल पर देवताओं और असुरों का सामना करते थे। परंतु तुम वरदान और पराक्रम दोनों से संपन्न हो।