श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 6: युद्ध काण्ड  »  सर्ग 76: अङ्गद के द्वारा कम्पन और प्रजङ्घका द्विविद के द्वारा शोणिताक्षका, मैन्द के द्वारा यूपाक्षका और सुग्रीव के द्वारा कुम्भ का वध  »  श्लोक 75
 
 
श्लोक  6.76.75 
 
 
वरदानात् पितृव्यस्ते सहते देवदानवान्।
कुम्भकर्णस्तु वीर्येण सहते च सुरासुरान्॥ ७५॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारे पिताश्री रावण केवल वरदान के बल पर ही देवताओं और दानवों के प्रहारों को सहन कर पाते हैं। तुम्हारे पितामह कुम्भकर्ण अपने पराक्रम और वीरता के बल पर देवताओं और असुरों का सामना करते थे। परंतु तुम वरदान और पराक्रम दोनों से संपन्न हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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